शीर्षक: वह जंगल जहाँ हवा ठहरती है – शहर के बीचोंबीच विलो पेड़ों की फुसफुसाहट

शहर के विलो पेड़ों वाले जंगल में एक शांत पल, जो हमें जीवन की सरलता और शांति का एहसास कराता है।


कभी-कभी केवल जंगल में चुपचाप खड़े रहना ही
मन को शांत करने के लिए काफी होता है।
यह दिन वैसा ही था।

विलो पेड़ों की लटकती पत्तियों के बीच से
नरम हवा गुजर रही थी,
और मेरे विचार भी उसके साथ बह रहे थे।
शहर के बीच में होते हुए भी
यह दृश्य किसी जादुई ठहराव जैसा था।

हर ओर फैली हरियाली,
पक्षियों की हल्की चहचहाहट और
कीड़ों की धीमी आवाजें
शहर के शोर को पूरी तरह से मिटा देती थीं।
यह कोई बड़ा अवकाश नहीं था,
लेकिन ऐसे पल
दिल को गहराई से भर देते हैं।

विलो पेड़ कभी खुद को नहीं जताते।
वे बस मौजूद रहते हैं,
हवा में हिलते हुए,
बिना ध्यान आकर्षित किए।
यही सरलता और प्रवाह
उन्हें खूबसूरत बनाती है।

हवा चले तो वे झुकते हैं,
बारिश हो तो चुपचाप सिर झुका लेते हैं,
और धूप में शांति से चमकते हैं।
हम उनसे
एक सहज जीवन की लय सीखते हैं।

जब मन उलझनों से भरा हो,
तो ऐसे किसी जंगल में चलना ही
मन को ताजगी देता है।
दूर जाने की जरूरत नहीं—
शहर में ही ऐसा प्रकृति होना
किस्मत की बात है।

कुछ लोग इसे यूं ही पार कर जाते हैं,
लेकिन अगर थोड़ा रुकें,
तो इस शांति को
अपने भीतर महसूस कर सकते हैं।
हवा की दिशा में बहते हुए
बस थोड़ा रुक जाना ही काफी है।

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