एक कटोरे में बसी गर्माहट भरी सांत्वना

 एक गर्म रेमेन ने चुपचाप सांत्वना दी। बिना शब्दों के बाँटा गया यह भोजन एक प्यारी, यादगार शाम में बदल गया।

एक शाम थी, जब बारिश नहीं हुई,
लेकिन दिल किसी नमी से भीग गया था।
ऐसे पलों में, बिना वजह कुछ गर्म चाहिए होता है।
ऐसा कुछ जो सिर्फ पेट नहीं, दिल भी भर दे।

जब रेमेन की दुकान में दाखिल हुए,
तो एक खुशबू ने बाहों में भर लिया।
गाढ़ा शोरबा जैसे कोई लंबी कहानी सुना रहा हो,
और तले हुए चाशू में मेहनत की झलक थी।
उबले अंडे में भी किसी का स्नेह महसूस हुआ,
और प्याज़ व नारुतो ने दृश्य को सजाया।

किसी खास के साथ चुपचाप बैठे हुए,
सूप का एक-एक चम्मच बाँटते हुए,
बिना बोले समझ लिया एक-दूसरे को।

यहाँ तक कि वह छोटा सा किमची का टुकड़ा
भी परिचित और नया दोनों लगा।
यह भोजन छोटा था, लेकिन दिल से भरा हुआ।

कुछ शामें ऐसी होती हैं,
जो साधारण होते हुए भी यादों में बस जाती हैं।
छोटी मगर सच्ची खुशी के पल।
रेमेन केवल खाना नहीं था,
बल्कि उस शाम की मौन बातचीत थी।

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