शहर की रात रौशनी और तालियों से भर गई। हम एक साथ जीए, गाए और इस लम्हे को अपनी ज़िंदगी की कहानी में दर्ज कर लिया।
स्टेज से गिरती रोशनी और आतिशबाज़ियाँ,
और दर्शकों की तालियाँ और आवाज़ें —
इसने शहर की रात को गर्मजोशी से रंग दिया।
कुछ दोस्त के साथ आए, कुछ परिवार के,
कुछ अकेले आए,
लेकिन यहाँ सब एक ही रिदम में झूम रहे थे।
रंग-बिरंगी लाइट स्टिक्स और चमकती आँखें
उत्साह और उम्मीद से भरी हवा में तैर रही थीं।
स्पीकर से आती धुनें
सिर्फ कानों के लिए नहीं थीं।
वे दिल की गहराई तक पहुंचीं,
जैसे ज़िंदगी के किसी पन्ने पर
किसी ने हाइलाइटर से रेखा खींच दी हो।
हकीकत सख्त है, रोज़मर्रा दोहराव भरा,
लेकिन थोड़ी देर के लिए
किसी की धुन, रौशनी और तालियों में
खुद को खो देना
शायद इस शहर की सबसे बड़ी राहत है।
इमारतों के बीच फैलती रौशनी,
आसमान में उड़ती आतिशबाज़ियाँ,
और कंधे से कंधा मिलाकर हँसते लोग।
हर एक पल
फिल्म के दृश्य की तरह याद में बस गया।
समय गुज़रा और आखिरी गाना शुरू हुआ,
हर कोई जोर से "Encore! Encore!" चिल्लाया।
तभी मैंने समझा —
यह रात, यह गर्मी,
सिर्फ एक शो नहीं था,
बल्कि हमारे जीवित होने का सबूत था।
हमने उस पल को जिया,
और वह हमें और मज़बूत बना गया।
और किसी दिन, किसी और रात,
किसी और जगह,
हम फिर मिलेंगे
और साथ गाएंगे —
इस छोटे से वादे को दिल में लेकर।


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