शहर के लाल रास्ते पर हरियाली की छाँव में सुकून का पल। तेज़ दिनचर्या में एक शांत विराम जो मन को शांति देता है।
लाल रास्ते पर कदम रखते ही, शहर का शोर धीमा हो जाता है।
दोनों ओर पेड़ धूप को छानते हैं, और बादल ऊपर तैरते हैं।
यह रास्ता एक शांत विराम की तरह है, दिनचर्या से थोड़ा अलग।
ऊँची इमारतें शहरी ऊर्जा को दिखाती हैं,
पर उनके नीचे पेड़ कहते हैं कि प्रकृति अब भी हमारे साथ है।
थोड़ी सी दूरी भी इस रास्ते पर चलकर मन का दृश्य बदल जाता है।
इमारतें पृष्ठभूमि बन जाती हैं,
और मेरी नज़र घास, पेड़ और हवा की ओर मुड़ती है।
हल्की हवा में आँखें बंद करने पर,
सीमेंट से पहले मिट्टी की खुशबू आती है।
दुनिया भागती रहती है, पर मैं अपना क़दम धीमा करता हूँ।
लाल रास्ते पर चलते हुए, पेड़ों से छनती धूप चमकती है,
पैरों के नीचे दरारें कहानियाँ सुनाती हैं—
बीते वक्त की, आए लोगों की, और चलते क़दमों की।
व्यस्त दिन में भी,
ऐसी जगह एक सुकून है।
शहर ऊँचा उठता है,
पर उसके नीचे हम धीरे-धीरे साँस लेते हैं।
छाँव में चलते क़दम हल्के लगते हैं,
धूप में मन शांत होता है।
शहर तेज़ चलता है,
लेकिन इस रास्ते पर मैं रुक सकता हूँ।
आज भी आसमान नीला है,
बादल बिना वजह बहते हैं।
उसी तरह मैं भी बिना वजह की शांति को महसूस करता हूँ,
और फिर एक क़दम आगे बढ़ाता हूँ।


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