एक फूली हुई बिल्ली बिना कुछ कहे सुकून देती है। उसके पास होना ही काफी है, दिल को गरमी और चैन मिल जाता है।
अचानक पैरों के पास एक नरम अहसास हुआ।
पीछे देखा, तो एक बिल्ली छोटे हीटर की तरह गोल होकर बैठी थी।
कभी वह तकिए जैसी लगती है, कभी बादल की एक फाह जैसी।
उसका चेहरा कहता है, “तुम मुझसे बात करने वाले तो नहीं हो?”
गंभीर, फिर भी बहुत प्यारी।
उसकी आंखें जैसे सर्दियों की गरम चाय,
और होंठ थोड़े सख्त, फिर भी प्यारे।
कुछ न करते हुए भी यह छोटा प्राणी
सब कुछ भर देता है।
ना आवाज़, ना हलचल—
फिर भी उसकी मौजूदगी से कमरा रोशन हो जाता है।
यही है बिल्ली का जादू।
फर्श की गर्माहट जैसे शरीर में समा रही हो,
वह जैसे कह रही हो, “यही, अभी, सब कुछ है।”
मुश्किल विचार और काम
उसकी शांति के सामने रुक जाते हैं।
लोग अक्सर पूछते हैं, क्यों?
क्यों पसंद है, क्यों साथ हैं, क्यों मुस्कुराते हैं?
लेकिन इस बिल्ली के सामने
कोई वजह नहीं चाहिए।
बस उसे देखकर दिल नरम हो जाता है,
गले लगाना मन करता है, और खुशी मिलती है।
खिड़की के पास से चुपचाप मुझे देखती है वह।
नाम लेने पर जवाब नहीं आता,
पर उसकी नज़रें सब कह जाती हैं।
कुछ किए बिना, कुछ चाहे बिना
हम एक-दूसरे के दिन का हिस्सा बन जाते हैं।
बिल्ली चुपचाप रहती है,
और उसी से दिल को सुकून देती है।
यह छोटा और नर्म जीवन
दिन के अंत में कहता है—
“ठीक है, बस यूं ही रहो।”
आज भी धीरे-धीरे चलते हुए
उसने मेरे दिल का एक कोना अपना बना लिया।
यह बिल्ली सिखाती है जीने का तरीका—
जल्दी मत करो, सवाल मत पूछो,
बस जैसे हो, वैसे रहो।


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