शांत समुद्र के सामने, एक ऐसा दिन मिला जहाँ कुछ भी न करना बिल्कुल ठीक लगा। मौन और शांति ने दिल को आराम दिया।
कभी-कभी, समुद्र पहले बात करता है।
कहता है कि कहीं भी जा सकते हो, कुछ देर रुकना भी ठीक है।
आज का समुद्र खासतौर पर शांत और नीला था।
लहरें धीरे-धीरे पैरों को छू रही थीं, और हवा चुपचाप कंधों को छू रही थी।
ऐसे दिनों में, कुछ भी न करना एकदम सही लगता है।
बस लेट कर आसमान देखना या रेत पर नाम लिखना ही काफी है।
हमारी हर दिन की ज़िंदगी इतनी व्यस्त और भारी होती है,
लेकिन समुद्र के सामने खड़े होते ही सब कुछ हल्का लगने लगता है।
यहाँ कुछ भी विशेष नहीं है।
बस लहरें, रेत, हवा और दूर एक छोटा-सा लाइटहाउस।
लेकिन यही सादगी दिल को पूरी तरह भर देती है।
जटिल विचार चुपचाप सुलझने लगते हैं, और खुद पर ध्यान केंद्रित करना आसान हो जाता है।
कुछ लोग इस दृश्य को "कुछ भी नहीं" कह सकते हैं,
लेकिन मेरे लिए यह "सब कुछ" है।
शांति में सुकून है, रुकने में सच्चाई है, और नीले रंग में गर्मजोशी है।
समुद्र की बिना शब्दों वाली कहानियों का पीछा करते हुए,
कहीं न कहीं, दिल रोशनी से भर उठता है।
काश हर किसी का अपना समुद्र हो।
जिसे शरीर नहीं, लेकिन दिल छू सके।
जहाँ शब्दों की ज़रूरत न हो,
और आँखें बंद करने पर शांति वापस लौट आए।
तो मैं आज भी उस समुद्र को याद करता हूँ।
उसकी नीलता, उसकी शांति, और वो दिन जब कुछ न करना भी ठीक था।
काश हम सभी कभी-कभी ऐसा दिन पा सकें।
काश नीला रंग हमारे दिल को सहला दे।
बस, यही कामना है।

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